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गुरुवार, 31 मार्च 2011

पेरिफेरियल आर्टिरियल डिजीज दिल का नया रोग


पेरिफेरियल आर्टिरियल डिजीज       दिल का नया रोग



आमतौर पर पेरिफेरियल आर्टिरियल डिजीज यानी पीएडी की शुरूआत टखनों से होती है। इसलिए टखनों की स्थिति में थोड़ा-सा भी बदलाव होने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह लें अमेरिका डायबिटीज एसोसिएशन की शोध के अनुसार जो लोग मधुमेह की चपेट में हैं वे अपने दिल को पेरिफेरियल आर्टिरियल डिजीज यानी पीएडी की एक नई बीमारी सौंप रहे है। यह रक्त ले जाने वाली नलिकाओं को सीधा प्रभावित करता है। परीक्षणों में पाया गया हैं कि इस रोग की शुरूआत शरीर में शर्करा के बढ़ते हुए स्तर के कारण होती है। होता यह है कि जब शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और वह अनियंत्रित हो जाता है, तो रक्त में बढ़ी शर्करा अपने ही वाहक यानी रक्त ले जाने वाली नलिकाओं को धीरे-धीरे सकंुचन की स्थिति में ले आती है। इस तरह से उनमें रूकावट की स्थिति पैदा हो जाती है और रक्त प्रवाह में अड़चने आती है। इसे सुचारू बनाने के लिए दिल को अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है और वह धीरे-धीरे पस्त होने लगता है।



इस तरह से दिल कमजोर हो बैठ जाने की स्थिति में आ जाता है। दिल पर मिठास की इस मार को लेकर न्यूयार्क विश्वविद्यालय स्थित डायबिटीज ट्रीटमेंट सेंटर में भी शोधकार्य प्रारंभ हो गए है। संस्था के प्रमुख शोधकर्ता एवं केन्द्र के निदेशक डॉ. पीटर साहीन की प्रारंभिक शोध बताती है कि पीएडी का खतरा यूं तो मधुमेह पीड़ित लोगों को सबसे अधिक है मगर सामान्य लोग भी इसके खतरे की संभावना से अछूते नहीं हैं।


कारण और संभावनाओं पर अध्ययन करने के बाद स्पष्ट हुआ है कि पीएडी के विस्तार में धूम्रपान विशेष भूमिका निभा रहा है। जो लोग लम्बे समय से धूम्रपान कर रहे हैं या फिर उस व्यवसाय या वातावरण के बीच अपना लम्बा समय गुजार रहे हैं जहां वायु प्रदूषण विशेषतौर पर अपेक्षाकृत अधिक है, वे इस रोग को जल्द आमंत्रित करते हैं। परीक्षणों में पाया गया है कि धूम्रपान का प्रभाव सीधे रक्त पर पड़ता है जो बाद में धमनियों को प्रभावित कर उसमें संकरापन लाता है और इस तरह से उनमें पैदा संकुचन पेरिफेरियल आर्टीरियल डिजीज की शुरूआत कर देता है।

रिपोर्ट के अनुसार पीएडी रोग के विस्तार में आज की जीवन शैली विशेष कर खान-पान का बदला स्वरूप सहयोग दे रहा है। कम उम्र में ही चटपटा, वसायुक्त भोजन करने और शारीरिक कार्य न्यूनतम करने के कारण वसा की तह शरीर में अपना विस्तार करती जाती है।पश्चिमी देशों क देन फास्ट फूड अब उन्हीं की नजर में खटकने लगे हैं, कार ऐसे खाद्य पदार्थों की नजर और कहर दिल पर है जो आपके तन में धड़कन लिए हुए है।

डॉ. पीटर की रिपोर्ट के अनुसार इस स्थिति में रक्त धमनियों के भीतरी भाग में वसा यानी चर्बी का जमावड़ा होता जाता है। इसका प्रभाव सीधा धमनियों के लचीलेपन पर पड़ता है। धमनियों में संकरापन रक्त प्रवाह में अड़चन पैदा कर देता है और पुन: हृदय का उसे सुचारू करने के लिए अतिरिक्त दाब देना पड़ता है जो इसे थका देता है।
 रिपोर्ट बताती है कि इस स्थिति में धमनियां हृदय की पेशियों को समुचित पोषण नहीं दे पाती है और उनमें शिथिलता आने लगती है। इस स्थिति में पैरिफेरियल आर्टीरियल डिजीज अपने पांव पसारने लगती है।

यही वो स्थिति भी है जो एंजाइना को पनपाती है। इसका प्रभाव सीने के बीचो-बीचो होते गंभीर, असहनीय दर्द के रूप में भी देखा जा सकता है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान इस तरह की दिक्कतें सामने आती है।
डॉ. पीटर की रिपोर्ट के अनुसार पीएडी रोग के विस्तार में बढ़ता कॉलेस्ट्रॉल भी प्रमुख कारक है। इसमें दो राय नहीं कि कॉलेस्ट्रॉल की एक सीमित मात्रा हमारे लिए लाभकारी है मगर इसकी मात्रा अनियंत्रित बढ़ जाना हमारे शरीर के लिए खतरे की घंटी है। डॉ. पीटर के अनुसार मधुमेह से प्रभावित रोगियों को विशष तौर पर हृदय रोगों की जांच कराते रहना चाहिए। इसी प्रकार रक्त चाप यानी ब्डल प्रेशर पीड़ित भी नियमित जांच कराएं। रिपोर्ट में पेरिफेरियल आर्टिरि डिजीज की जांच के लिए बड़ा अचूक और सहज उपाय बताया गया है।


डॉ. पीटर के अनुसार यह एक नई रोग की शुरूआत है, इसलिए इसकी जांच में चूक या अनभिज्ञता होना मुमकिन ही है। उनका मानना है कि आमतौर पर पीएडी की शुरूआत टखनों से होती हैं डॉ. पीटर की चिकित्सीय सलाह है कि पहले रोगी का रक्त चाप सामान्य पद्धति से लिया जाए। इसके बाद उसके टखने से रक्तचाप मापा जाए। इस तरह से दोनों रक्त चाप की तुलना की जाए। अगर टखनों के रक्तचाप में अपेक्षाकृत बहुत कमी नजर आए तो जान लेना चाहिए कि दिल निश्चित ह पीएडी की चपेट में है। अगर ऐसा नहीं है और दोनों में समानता है अगर व्यक्ति विशेष मधुमेह से पीड़ित है तो भी स्थिति सामान्य न समझी जाए। ऐसी स्थिति में हर पांच साल के अंतराल पर पीएडी परीक्षण करवाते रहना चाहिए। चूंकि यह रोग मधुमेह पीड़ितों को ज्यादा प्रभावित करता है। अत: ऐसे रोगियों को अधिक सचेत रहन की आवश्यकता है।


पेरिफेरियल आर्टिरियल डिजीज से दिल को बचाने के लिए डॉ. पीटर की सलाह है कि धुम्रपान और तनाव को त्याग दें। हमेशा सकारात्मक सोच रखें। इसके अलावा अधिक भोजन को प्राथमिकता न दें। संतुलित भोजन करें। नियमित रूप से व्यायाम करें। इस तरह से दिल की कार्यक्षमता बढ़ती है। ध्यान रखें कि समय-समय पर न केवल पीएडी की बल्कि मधुमेह, रक्तचाप, ब्लड शुगर आदि की जांच कराते रहें।

पीएडी टेस्ट कराएं


धूम्रपान त्याग दें
संतुलित भोजन लें
कॉलेस्ट्रॉल काबू में रखें
तनाव न बढ़ाएं
मधुमेह पर काबू रखें

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