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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

नाभिकीय चिकित्सा

नाभिकीय चिकित्सा

सामान्य पूर्ण शरीर स्कैन, कैंसर आदि में उपयोगी
नाभिकीय चिकित्सा (अंग्रेज़ी:न्यूक्लियर मेडिसिन) एक प्रकार की चिकित्सकीय जांच तकनीक होती है। इसमें रोगों चाहे आरंभिक अवस्था में हो हो या गंभीर अवस्था में, उसकी गहन जांच और उपचार संभव है। कोशिका की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति को न्यूक्लियर मेडिसिन भी कहा जाता है। वर्तमान प्रचलित चिकित्सा पद्धति में रोगों का मात्र अंदाजा या अनुमान ही लगाते हैं, और उपचार करते हैं, जबकि नाभिकीय चिकित्सा में न केवल सिर्फ रोग को बहुत आरंभिक अवस्था में पकड़ा जाता है, वरन यह प्रभावशाली इलाज और दवाइयों के बारे में भी स्पष्टता से बहुत कुछ बता पाने में सक्षम है। इससे किसी भी बीमारी की विस्तृत जानकारी, उसके प्रभाव और उसके उपचार निपटने के प्रभावशाली उपायों आदि के बारे में पता चलता है। इतना ही नहीं, इससे बीमारी के आगे बढ़ने के बारे में यानी भविष्य में इसके फैलने की गति, दिशा और तरीके का भी ज्ञान हो जाता है। यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्दरहित चिकित्सा तकनीक है। सामान्यतया किसी प्रकार के रोग होने के बाद ही सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई और एक्स-रे आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक रेडियोधर्मी समस्थानिक को दवाई रूप में इंजेक्स्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देख्कर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफैक्ट) की भी संभावना होती है।

हाइपरथायरॉएडिज़्म आकलन हेतु आयोडीन-१२३ स्कैन
नाभिकीय चिकित्सा में रोगी के शरीर में इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्र में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट करा दिये जाते हैं, जिसे शरीर में संक्रमित या प्रभावित कोशिका इसे अवशोषित कर लेते हैं। इससे होने वाले विकिरण को एक विशेष प्रकार के गामा कैमरे में उतार कर रोग की सटीक और विस्तृत जांच की जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैनिंग से मिले अलग फिल्म में प्रभावित अंग की विस्तृत जानकारी मिलती है। नाभिकीय चिकित्सा तकनीक में रेडियो धर्मी तत्व का प्रयोग इतने कम मात्र में किया जाता है कि इससे होने वाले विकिरण का प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है।
नाभिकीय चिकित्सा द्वारा कैंसर, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ा, थायरॉइड अपटेक स्कैन और बोन स्कैन किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों का ईलाज भी नाभिकीय चिकित्सा द्वारा किया जाता है। अवटु ग्रंथि में आई खराबी और हड्डी में लगातार हो रहे दर्द का इलाज इसी तकनीक से होता है।
हृदय स्कैनिंग
हृदय के थैलियम परीक्षण के द्वारा हृदय की विभिन्न मांसपेशियों के ऊतकों की कार्यक्षमता को जांचा जा सकता है। इसके अलावा वहां की धमनियों में होने वाले रक्त प्रवाह को जांचा जाता है। इस प्रकार एंजियोग्राफी की आवश्यकता नहीं रहती है। इस जांच से हृदयाघात की संभावना का अनुमान बहुत पहले पता लगाया जा सकता है जिससे सही समय पर उचित उपचार द्वारा जीवन की रक्षा की जा सकती है।


हड्डी स्कैन
नाभिकीय चिकित्सा द्वारा हड्डियों व संधियों में होने वाले सूक्ष्मतम परिवर्तन की जांच की जाती है। हड्डियों में होने वाली गाँठों की जांच भी संभव होती है। इसके द्वारा सूक्ष्मतम फ्रैक्चर (हेयरलाइन फ्रैक्चर) की जांच व गंभीर ऑस्टियोमेलाइटिस की जांच भी की जाती है। इसके द्वारा पीठ दर्द के निवारण के लिए रीढ़ की संपूर्ण जांच भी संभव है।
वृक्क स्कैन
वृक्क (गुर्दा) जो शरीर का अत्यन्त महत्वपूर्ण शोधक अंग है, इस पद्धति द्वारा उसकी स्थिति व कार्यक्षमता का सही मूल्यांकन किया जा सकता है। गुर्दे के प्रत्यारोपण की आवश्यकता और प्रत्यारोपण के पश्चात उसकी कार्यक्षमता की जांच इस पद्धति द्वारा की जाती है। उपरोक्त रोगों के अलावा पेट व अन्य रोगों की जांच गामा स्कैनिंग द्वारा संभव है।

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